महर्षि वाल्मीकि के अनमोल विचार – Valmiki Quotes in Hindi

Valmiki Quotes:महर्षि वाल्मीकि को महान भारतीय महाकाव्य कविता, 'द रामायण' के लेखक के रूप में जाना जाता है। वह न केवल लेखक हैं, बल्कि कहानी में एक महत्वपूर्ण चरित्र भी हैं, जो राम की संतानों को बढ़ाने में मदद करते हैं। Maharishi Valmiki संस्कृत के महान कवि थे |

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1.मनुष्य का आचरण ही बतलाता है कि वह कुलीन है या अकुलीन, वीर है या कायर अथवा पवित्र है या अपवित्र। -महर्षि वाल्मीकि (Maharshi Valmiki)

2.सत्य ही सबका मूल है और सत्य से बढकर कुछ भी नही है -महर्षि वाल्मीकि (Maharshi Valmiki)

3.हमेसा सुख ही मिले ऐसा कदापि सम्भव नही है -महर्षि वाल्मीकि (Maharshi Valmiki)

4.जो लोग गलत रास्ते पर चलते है उन्हें कभी भी सच्चा ज्ञान नही प्राप्त होता है -महर्षि वाल्मीकि (Maharshi Valmiki)

5.यदि आपका चरित्र उत्तम नही है तो आप कभी भी महान नही बन सकते है -महर्षि वाल्मीकि (Maharshi Valmiki)

6.क्रोध से व्यक्ति के गुणों का नाश हो जाता है इसलिए हमेसा क्रोध करने से बचना चाहिए -महर्षि वाल्मीकि (Maharshi Valmiki)

7.माता पिता की सेवा करना सदैव कल्याणकारी होता है -महर्षि वाल्मीकि (Maharshi Valmiki)

8.दुखी लोग कौन सा पाप नही करते है -महर्षि वाल्मीकि (Maharshi Valmiki)

9.संसार में ऐसे बहुत कम लोग होते है जो भले ही कठोर हो लेकिन हित की बात कहते है -महर्षि वाल्मीकि (Maharshi Valmiki)

10.इस दुनिया में दुर्लभ नाम की कोई चीज नही है लेकिन अगर उत्साह का साथ न छोड़ा जाय -महर्षि वाल्मीकि (Maharshi Valmiki)

11.घमंड और अहंकार मनुष्य का सबसे बड़े दुश्मन है जो सोने के हार को भी मिट्टी का बना देते है -महर्षि वाल्मीकि (Maharshi Valmiki)

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12.मनुष्य के अंदर अगर इच्छा शक्ति हो तो वह बड़े से बड़ा काम भी आसानी से कर सकते है इच्छाशक्ति से ही रंक भी राजा बन जाता है -महर्षि वाल्मीकि (Maharshi Valmiki)

13.किसी वादे को तोड़ने से किये गये सारे अच्छे कर्म भी नष्ट हो जाते है -महर्षि वाल्मीकि (Maharshi Valmiki)

14.किसी व्यक्ति से ज्यादा मोह रखना भी दुःख का कारण बन सकता है -महर्षि वाल्मीकि (Maharshi Valmiki)

15.संघर्ष से ही आप महान बन सकते है यदि जीवन में आगे बढना है तो तो संघर्ष करना भी जरुरी है -महर्षि वाल्मीकि (Maharshi Valmiki)

16.हम गर्व, अहंकार और कुटिलता का परित्याग कर देना चाहिए और और दुसरे लोग कितनी भी आलोचना करे उसकी चिंता नही करनी चाहिए -महर्षि वाल्मीकि (Maharshi Valmiki)

17.माया के दो भेद है विद्या और अविद्या -महर्षि वाल्मीकि (Maharshi Valmiki)

18.उत्साह से बढकर कोई दूसरा बल नही है -महर्षि वाल्मीकि (Maharshi Valmiki)

19.प्रियजनों सेमोहवश अत्यधिक प्रेम से यश भी चला जा सकता है -महर्षि वाल्मीकि (Maharshi Valmiki)

20.अच्छे स्वाभाव वाले लोग अपने घर के सोने गहनों और मित्र में कोई फर्क नही समझते है -महर्षि वाल्मीकि (Maharshi Valmiki)

21.जैसा राजा का आचरण होता है ठीक वैसा ही प्रजा भी आचरण करती है-महर्षि वाल्मीकि (Maharshi Valmiki)

22.जो व्यक्ति अपने पक्ष को छोडकर दुसरो के पक्ष में मिल जाता है फिर उस पक्ष के नष्ट होने अपर वः खुद ही नष्ट हो जाता है -महर्षि वाल्मीकि (Maharshi Valmiki)

23जो व्यक्ति वीर और बलवान होते है वे जलहीन बादलों के समान खाली गर्जना नही करते है -महर्षि वाल्मीकि (Maharshi Valmiki)

24.संत पुरुष हमेसा लोगो को दुःख से बचाने के लिए कष्ट सहते है जबकि दुष्ट प्रवित्ति के लोग दुसरो को हमेसा दुःख में डालने के लिए ही जीते है -महर्षि वाल्मीकि (Maharshi Valmiki)

25.नीच व्यक्ति की नम्रता भी अत्यंत दुखदायी होती है जैसे अंकुश, धनुष, सांप और बिल्ली हमेसा झुककर ही वार करते है -महर्षि वाल्मीकि (Maharshi Valmiki)

26.सेवा के लिए उपयोग किया बल हमेसा टिकेगा और अमर होगा
-महर्षि वाल्मीकि (Maharshi Valmiki)

27.राजा को हमेसा उच्च चरित्र और आदर्शवादी होना चाहिए तभी वह प्रजापालक कहलाता है -महर्षि वाल्मीकि (Maharshi Valmiki)