1.मातृभूमि और अपने माँ मे तुलना करना और अन्तर समझना निर्बल और मुर्खो का काम है| - महाराणा प्रताप (Maharana Pratap)
2.सम्मानहीन मनुष्य एक मृत व्यक्ति के समान होता है। - महाराणा प्रताप (Maharana Pratap)
3.ये संसार कर्मवीरो की ही सुनता है। अतः अपने कर्म के मार्ग पर अडिग और प्रशस्त रहो - महाराणा प्रताप (Maharana Pratap)
4.समय इतना बलवान होता है, कि एक राजा को भी घास की रोटी खिला सकता है। - महाराणा प्रताप (Maharana Pratap)
5.समय एक ताकतवर और साहसी को ही अपनी विरासत देता है, अतः अपने रास्ते पर अडिग रहो - महाराणा प्रताप (Maharana Pratap)
6.हल्दीघाटी के युध्द ने मेरा सर्वस्व छीन लिया हो। पर मेरी गौरव और शान और बढा दिया - महाराणा प्रताप (Maharana Pratap)
7.जो सुख मे अतिप्रसन्न और विपत्ति मे डर के झुक जाते है, उन्हे ना सफलता मिलती है और न ही इतिहास मे जगह - महाराणा प्रताप (Maharana Pratap)
8.अपने अच्छे समय मे अपने कर्म से इतने विश्वास पात्र बना लो कि बुरा वक्त आने पर वो उसे भी अच्छा बना दे। - महाराणा प्रताप (Maharana Pratap)
9.जो अत्यंत विकट परिस्तिथत मे भी झुक कर हार नही मानते। वो हार कर भी जीते होते है। - महाराणा प्रताप (Maharana Pratap)
10.अगर सर्प से प्रेम रखोगे तो भी वो अपने स्वभाव के अनुसार डसेगा । - महाराणा प्रताप (Maharana Pratap)
11.शत्रु सफल और शौर्यवान व्यक्ति के ही होते है। - महाराणा प्रताप (Maharana Pratap)
12.एक शासक का पहला कर्त्यव अपने राज्य का गौरव और सम्मान बचाने का होता है। - महाराणा प्रताप (Maharana Pratap)
13.तब तक परिश्रम करते रहो जब तक तुम्हे तुम्हारी मंजिल न मिल जाये - महाराणा प्रताप (Maharana Pratap)
14.मनुष्य अपने कठीन परिश्रम और कष्टो से ही अपने नाम को अमर कर सकता है। - महाराणा प्रताप (Maharana Pratap )
15.जो अपने और अपने परिवार के अलावा अपने राष्ट्र के बारे मे सोचे वही सच्चा नागरिक होता है। - महाराणा प्रताप (Maharana Pratap)
16.अगर इरादा नेक और मजबूत है। तो मनुष्य कि पराजय नही विजय होती है। - महाराणा प्रताप (Maharana Pratap)
17.नित्य, अपने लक्ष्य,परिश्रम,और आत्मशक्ति को याद करने पर सफलता का मार्ग सरल हो जाता है। - महाराणा प्रताप (Maharana Pratap)
18.गौरव,मान- मर्यादा और आत्मसम्मान से बढ कर कीमती जीवन भी नही समझना चाहिए। - महाराणा प्रताप (Maharana Pratap)
19.अन्याय, अधर्म,आदि का विनाश करना पुरे मानव जाति का कतर्व्य है। - महाराणा प्रताप (Maharana Pratap)
20.अपने कतर्व्य,और पुरे सृष्टि के कल्याण के लिए प्रयत्नरत मनुष्य को युग युगांतर तक स्मरण रखा जाता है। - महाराणा प्रताप (Maharana Pratap)