महर्षि वेदव्यास के अनमोल विचार - Maharshi Vedvyas Quotes in Hindi




1.अभीष्ट फल की प्राप्ति हो या न हो, विद्वान पुरुष उसके लिए शोक नहीं करता।

2. अपेक्षा उसे तत्काल प्रकट कर देना अधिक अच्छा है, जैसे पल में जल जाना देर तक सुलगने से अच्छा है

3.अमृत और मृत्यु दोनों इस शरीर में ही स्थित हैं। मनुष्य मोह से मृत्यु को और सत्य से अमृत को प्राप्त होता है

4.दूसरों के लिए भी वही चाहो जो तुम अपने लिए चाहते हो

5.जो मनुष्य क्रोधी पर क्रोध नहीं, क्षमा करता है, वह अपनी और क्रोध करने वाले की महा संकट से रक्षा करता है। वह दोनों का रोग दूर करने वाला चिकित्सक है।

6. मन का दुख मिट जाने पर शरीर का दुख भी मिट जाता है।

7. संसार में ऐसा कोई नहीं हुआ है, जो मनुष्य की आशाओं का पेट भर सके। पुरुष की आशा समुद्र के समान है, वह कभी भरती ही नहीं

8.अधिक बलवान तो वे ही होते हैं जिनके पास बुद्धिबल होता है। जिनमें केवल शारीरिक बल होता है, वे वास्तविक बलवान नहीं होते

9. जिसकी बुद्धि नष्ट हो जाती है, वह मनुष्य सदा पाप ही करता रहता है। पुन:-पुन: किया हुआ पुण्य बुद्धि को बढ़ाता है।

10.अधिक बलवान तो वे ही होते हैं जिनके पास बुद्धिबल होता है। जिनमें केवल शारीरिक बल होता है, वे वास्तविक बलवान नहीं होते

11.अधिक बलवान तो वे ही होते हैं जिनके पास बुद्धिबल होता है। जिनमें केवल शारीरिक बल होता है, वे वास्तविक बलवान नहीं होते

12.आशा ही दुख की जननी है और निराशा ही परम सुख शांति देने वाली है।

13. दूसरोँ के लिए भी वही चाहो जो तुम अपने लिए चाहते हो |

14.एकमात्र विद्या  ही  तृप्ति देने वाली होती है.

15. चतुर मित्र सबसे श्रेष्ठ और बढ़िया मार्ग प्रदर्शक होता है

16. दुख को दूर करने की एक ही अमोघ औषधि है- मन से दुखों की चिंता न करना।

18. मन का दुख मिट जाने पर शरीर का दुख भी मिट जाता है।

19.  विद्या के समान कोई नेत्र नहीं है।

20. जैसे तेल समाप्त हो जाने पर दीपक बुझ जाता है, उसी प्रकार कर्म के क्षीण हो जाने पर देव भी नष्ट हो जाता है।